याद है मुझे आज भी
वो शाम
सोंधी सी खुशबू थी
सूरज सिसकियाँ लेते हुए
बादल की ओढ़नी में छुपा था
बिदाई का वक़्त था
और मेरे नयन थे नम
मगर, दुल्हन तू
हँस रही थी, खिलखिला रही थी
ना कोई ग़म, ना आँसू
बांवरा मैं , सोच के बैठा
कि मेरे प्यार में थी तू पागल
मगर आज लगा है पता मुझे
तेरी उस हँसी का वजूद
बिदाई तो हुई थी तेरी
पर मायका नहीं छूटा था
और, मायका तेरा ले
डूब गया है छोटा सा आशियाना मेरा !
Copyright @ Ajay Pai 2016
Image courtesy : Aj's album.
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