साहिबा, जो पल गुज़ारे थे हमने
एक दूजे कि बाहों में,
वो आज बस ख़याल बने मंडरा रहे हैं !
दफन करदूँगा उन ख्यालों को आज
लपेट के इस कोरे कागज़ के कफ़न में
बांधूंगा कस के इन काले लफ़्ज़ों में
उन ख्यालों को आज
और लगाऊँगा मोहर मियाद की !
पता चले दुनिया को
कि, खत्म हुई है ये कहानी हमारी !
Copyright @ Ajay Pai 2016
Image courtesy : Aj's album.
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