रात - Night

Wednesday, November 23, 2016



इतनी जल्दबाज़ी क्यूँ करते हो, जनाब 
सांझ अभी तो जवान हुई है 
बहक जाने दो उन् अखियन में 
करवटें बदलने दो उनकी बाहों में 
इक रात ही तो है 
करीबी की,
रोशनी तो जुदा कर देती है !


Copyright @ Ajay Pai 2016
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