मायका - Maternal Home

Monday, November 28, 2016

याद है मुझे आज भी 
 वो शाम 
सोंधी सी खुशबू थी 
महक रहा था आसमान 
सूरज सिसकियाँ लेते हुए 
बादल  की ओढ़नी में  छुपा था 
बिदाई का वक़्त था 
और मेरे नयन थे नम 

मगर, दुल्हन तू 
हँस  रही थी, खिलखिला रही थी 
ना कोई ग़म, ना आँसू
बांवरा मैं , सोच के बैठा
कि मेरे प्यार में थी तू पागल

मगर आज लगा है पता मुझे
तेरी उस हँसी का वजूद 
बिदाई तो  हुई थी तेरी 
पर मायका नहीं छूटा था 

और, मायका तेरा ले 
डूब गया है छोटा सा आशियाना मेरा !


Copyright @ Ajay Pai 2016

Image courtesy : Aj's album.



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