तेरेलिये (Rejected poem no. 2)

Sunday, August 20, 2017


तेरेलिये बस तेरेलिये
ये रात और नशा 
तू ही तो बेवफा , तू ही तो बेवफा (तेरेलिये)


सौंधी सी खुशबू तेरी
और ये बिलखती रात
मद्धम मद्धम सी
सिसकियाँ लेती हुई तन्हा,
बेज़ुबान इस प्यार को कर गयी  (तेरेलिये)


नशा ये प्यार का ढल ही जाएगा 
कच्चे रंग की तरह धीमे धीमे 
घुल जाएगा 
उसके कजरारे अखियनन में ।  

(तेरेलिये)



Copyright @ Ajay Pai
Aug 14th 2017

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