My Emotions !
Sunday, August 20, 2017
रास
आज फिर छू लूँ उसे मैं
इन सीली सीली रातों से
छीलूं पंखुड़ी जैसा उसका अंग
होंठों की धार से
सजाऊँ सेज मैं आज
उसकी सुलगती हुई
सीत्कारियों
से
भीगा दूँ तपता हुआ ये बदन उसकी
नज़ाकत में |
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment